घायल की गति घायल जानै,
एक समय था जब प्रेम किसी सिद्धांत की तरह नहीं, बल्कि एक प्रार्थना की तरह जिया जाता था। लोग किसी से प्रेम करते थे, तो वह प्रेम जीवन का केंद्र बन जाता था- एक ही व्यक्ति में संसार की समूची परिधि दिखाई देती थी। वही मित्र था, वही सखा, वही सलाहकार और वही विश्रामस्थल। उस एक व्यक्ति के बिना सब कुछ अधूरा लगता था, और उस एक व्यक्ति की उपस्थिति से पूरा संसार अर्थ पा लेता था।



