महात्मा गांधी : महिला सशक्तिकरण का वह रहनुमा जिनके जैसा कोई दूसरा नहीं पैदा हुआ.
पुरुष आज बदला हुआ नज़र आता है तो वह इसलिए नहीं कि वह फ़ेमनिस्ट रवैया अख्तियार कर रहा है बल्कि इसलिए कि इस स्तर पर महिलाओं को लाने के लिए गांधीजी ने अप्रतिम कार्य किया. एक बार जस्टिस रानाडे ने गांधीजी के बारे में कहा था कि 'हम लोग अपनी पूरी जिंदगी में स्त्रियों के हित में जितना काम कर पाएंगे गांधी जी उतना एक दिन में कर देते है.' इस कथन से कल्पना की जा सकती है कि स्त्रियों को इस मुकाम तक पहुचाने में गांधी जी का कितना महत्वपूर्ण योगदान है. हालांकि आज भी स्त्रियां बापू के भारत वाला स्थान नहीं प्राप्त कर सकी है आज भी स्त्रियां अत्याचार, हिंसा, बलात्कार, समाजिक भेदभाव से कराह रही है इनमे मुक्ति की छटपटाहट है लेकिन कोई गांधी जैसा रहनुमा नहीं है. उनका कहना भी था कि मैं आज़ादी के बाद अपना पूरा जीवन स्त्रियों के मुक्ति में लगाऊंगा.